चुनाव आते ही नेताओं के एजेंडा में रहता है। पचपेड़ी घाट का पुल।
निघासन-खीरी* निघासन। चुनाव आते ही नेताओं के एजेंडे में एक बिंदु पुनः बढ जायेगा वो है। पचपेड़ी पुल। पचपेड़ी पुल चुनाव के दौरान नेताओं की जुबान पर खूब चर्चा का विषय बना रहता है।, और जनता को आशा की एक नई किरण जाग जाती की चुनाव जीतने उपरांत जीता प्रत्याशी पचपेड़ी घाट पर पुल के लिए पूर्ण रूप से संकल्पित होकर निर्माण करवायेगा, किन्तु जनता को आशा की किरण को

चुनाव आते ही नेताओं के एजेंडा में रहता है। पचपेड़ी घाट का पुल।
*निघासन-खीरी से संवाददाता आर.जे.संतोष कुमार के साथ संजय सिंह यादव की रिपोर्ट*
*निघासन-खीरी*
निघासन। चुनाव आते ही नेताओं के एजेंडे में एक बिंदु पुनः बढ जायेगा वो है। पचपेड़ी पुल। पचपेड़ी पुल चुनाव के दौरान नेताओं की जुबान पर खूब चर्चा का विषय बना रहता है।, और जनता को आशा की एक नई किरण जाग जाती की चुनाव जीतने उपरांत जीता प्रत्याशी पचपेड़ी घाट पर पुल के लिए पूर्ण रूप से संकल्पित होकर निर्माण करवायेगा, किन्तु जनता को आशा की किरण को निहारते हुए जीते प्रत्याशी का कार्यकाल पूर्ण हो जाता और दोबारा एजेंडे में पचपेड़ी घाट पर पुल निर्माण का मुद्दा उठ जाता लेकिन पचपेड़ी घाट पर पुल का निर्माण नही होता। पचपेड़ी घाट पर पुल निर्माण के सपने दिखाने वाले इन नेताओं पर से क्षेत्र की जनता का विश्वास धीरे धीरे उठता जा रहा है। पचपेड़ी घाट पुल सम्पूर्ण निघासन र विधानसभा क्षेत्र की तरक्की, औद्योगिक। और व्यापारिक विकास से जुड़ा हुआ है। पचपेड़ी घाट पुल निर्माण न हो पाने से क्षेत्र के मालवाहकों व आमजन को करीब 20 से 25 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। जिससे समय व धन दोनों नष्ट होता है।, जिसका प्रभाव परोक्ष रूप से आमजन पर अधिक पड़ता है। राज्यसभा व लोकसभा के चुनावों में जिसमे खासकर लोकसभा के चुनाव के दौरान कभी पुल बनने हेतु सीमांकन होने लगता है।, तो कभी शिलान्यास की तैयारी होने लगती है।, लेकिन चुनाव समाप्त होने के साथ ही इस ड्रामे का भी समापन हो जाता है। पचपेड़ी घाट पुल निर्माण के लिए सर्वे भी हुआ और मिट्टी जांच भी हुई, वर्ड बैंक की टीम ने सर्वे करके लिमिट भी बनाया और टेंडर भी जारी हुआ, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण पुल का निर्माण नही हो पाया। क्षेत्र की जनता आज भी पचपेड़ी घाट पर पुल निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधियों से आस लगाए हुए है।, कि कोई तो जनप्रतिनिधि ऐसा आएगा जो अपने वादे पर खरा उतरेगा और हम सभी क्षेत्र वासियों की दशकों से पुल निर्माण की आशा को पूर्ण करेगा। लेकिन चुनाव होते ही फिर क्या होता है। मैं आपको बतता हूं की जैसे हैं। नागनाथ वैसे हैं। पूछ नाथ। फिर पता नहीं चलता की कौन है। नेता और कौन है। विजेता। ब्यूरो रिपोर्ट