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गन्ना किसानों की कौन सुनेगा बाबू जी जब साहेब ही बेरहम है अपनी-अपनी तिजोरियां भरने मे लगे है,

छ:माह रिपेयर करोड़ों रुपये खर्च फिर भी पूरी क्षमता से पेराई क्यों नही कर पाती बेलरायां चीनी मिल?

गन्ना किसानों की कौन सुनेगा बाबू जी जब साहेब ही बेरहम है अपनी-अपनी तिजोरियां भरने मे लगे है,

 

छ:माह रिपेयर करोड़ों रुपये खर्च फिर भी पूरी क्षमता से पेराई क्यों नही कर पाती बेलरायां चीनी मिल?

 

Riport … प्रदीप कुमार मौर्य निघासन खीरी 

मिल १/२/२०२४ शाम छ:बजे से बन्द हुई क्लीनिक के लिए ५/२/२०२४ तारीख मे आ पहुंची एक दो बार चीनी मिल के डोगा को हीला कर सरकारी दस्तावेजों मे चालू दिखाने का हुआ प्रयास पर पेराईक्षमता क्या है -शून्य ,

 

जहां एक और गन्ना सुख रहा है किसान परेशान है मिल मे ट्राली खड़े-खड़े चार-छह दिन बित रहे है – किसान परेशान है।

 

सूत्रों से खबर

 

वर्तमान GM चालू सत्र मे चार्ज संभाला तब तक सब रिपेयरिंग बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका था कार्यभार सम्भालने से लेकर अब तक चीनी मील को सुचारू रूप से चलाने के लिए कडी मेहनत व लगन से प्रयास कर रहे है पर रिपेयरिंग कार्य संतोष जनक न होने का नतीजा है चीनी मील अपनी क्षमता के अनुरूप पेराई नही कर पा रही हैऔर लोकल फाल्ट होती रहती है।

 

मिल सूत्रों से खबर-

जो रिपेयरिंग का बजट था वह सूट बूट व बडे दरवाजे पल्लो तथा मकान बनाने व डेंटिग पेंटिंग मे खर्च हो गया है मिल रिपेयरिंग मे तो लोकल बिल है जो देशी नट बोल्ट लगाकर जुगाड़ से मिल को चलाने का प्रयास हुआ जो अब उसका खामियाजा चीनी मिल भुगत रही है किरकिरी वर्तमान GM की हो रही है।

अन्दर खाने सूत्र बताते है नौकरी व जिंदगी का सवाल है पहचान छुपा कर दबी जुबान से वर्करो ने बताया – भाईया जी सब फर्जी दुकानों से खरीद के बिल लगे है पुराने नट-बोल्ट से ही काम चल रहा है, तो असली सामान क्यों मगवाये साहब हम वर्करों से धुलवा कर बेरिंग व लोकल सामान से रिपेयर कर मुंह बन्द रखने का होता है दबाव क्या करे मजबूरी मे ऐसा करते है‌।

 

छ: माह रिपेयरिंग मे आंबटित करोड़ों का बजट लगने के बाद बेलरायां चीनी मिल का पेराई सत्र सुचारु रूप से नही चल पा रहा है वहीं किसान रोड से मिल मे कई दिन ठंडी व धूप मे किसान परेशान होता है और मिल पूरी क्षमता से पेराई नही कर पाती है क्योंकि रिपेयरिंग बजट ,भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।

 

जहां एक तरफ बकास का उठान न हो पाने से आग लग जाती है और बरसात से सड़ रहा है, बकास डालने की जगह नही है फिर भी पेराई सत्र मे शुरुआत मे बाहर से बकास आता मिल चालाने के लिए खुद के बकास ढेर बेकार है।

 

वहीं दो माह पेराई के पश्चात क्लिनिक मे बन्द मिल-बेलरायां को बाहरी बकास का इंतजार है,जब बहरी बकास आयेगी तब प्रेसर उठेगा ।

 

एक बड़ा सवाल उठता है मिल प्रशासन का प्रबंधन है फैल ?

या फिर है अनुभव,अनुशासन, कार्य कुशलता की कमी, या कार्य मे लगन नही,या ईच्छा शक्ति का अभाव है, सवालों के घेरे मे -प्रशासन ?

 

क्या कुशल नेतृत्व का आभाव है या कुशल श्रमिकों का अभाव है ?

 

बेलराया मिल की बकास भीगी है तो जहां से आ रही क्यों नही भीगी है और जहाँ से बकास आ रही सूखी बकास कैसै है क्या वहां बारिश नही हुई है?

Akhand Live News 24x7

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