वन विभाग की लापरवाही से एक बाघिन की गई जान और महिला सहित दो लोग हुए घायल।
पलिया कला खीरी। दुधवा नेशनल पार्क के अंतर्गत तीन जगह बाघिन द्वारा किया गया अटैक जिस पर वन विभाग की लचर व्यवस्था के कारण बाघिन को पीड़ित रतनलाल

वन विभाग की लापरवाही से एक बाघिन की गई जान और महिला सहित दो लोग हुए घायल।
*क्राइम संवाददाता ,शाहिद लखीमपुर खीरी*
पलिया कला खीरी। दुधवा नेशनल पार्क के अंतर्गत तीन जगह बाघिन द्वारा किया गया अटैक जिस पर वन विभाग की लचर व्यवस्था के कारण बाघिन को पीड़ित रतनलाल ने आत्म सुरक्षा व अपने पत्नी राजरानी को बचाने के लिए बाघिन को उतारा मौत के घाट।
वही क्षेत्र में फुलवरिया निवासी रतनलाल के द्वारा किए गए कांड को बनाया चर्चा का विषय लोग यह भी कह रहे हैं की रतनलाल की बहादुरी का जवाब नहीं वहीं कुछ माननीय लोग रतनलाल के द्वारा किए गए कार्य को सराहनीय बताते हुए बधाई भी दे रहे हैं।
जबकि इससे पहले क्षेत्र के सेमरी पूर्वा में एक युवक पर बाघिन ने किया था जानलेवा हमला जिसका इलाज सूत्रों की माने तो लखनऊ में हो रही है वही पलिया थाने में भी बाघिन ने मचाया था तांडव आखिर वन विभाग द्वारा ईतनी बड़ी लापरवाही क्यों जबकि वन विभाग के गाइडलाइन में यह है कि अगर कोई हिन्सक जानवर ग्रामीण क्षेत्र में पार्क से निकल आता है तो संबंधित रेंज उस क्षेत्र को कवरेज करके लोगों को तब तक सावधान करते हैं जब तक हिंसक जानवर वापस जंगल में नहीं चला जाता है तब तक लेकिन बाघिन तीन दिन से क्षेत्र में हमला के साथ ग्रामीण क्षेत्र में घूम रही थी जिसकी जानकारी वन विभाग को भली-भांति होगी इसके पश्चात भी विभाग द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया इसी के कारण फुलवरिया में मृत बाघिन को वन विभाग के कर्मचारी को ग्रामीण ने नहीं उठाने दिया शव जब मौके पर पलिया थाना की फोर्स पहुंची तब बाघिन के सब को कब्जे में लिया।
ऐसे ही एक मामला कुछ साल पहले ग्राम सभा घोला के मजरा निषाद नगर के शठियाना रेंज बफर जोन में हुआ था जिसमें एक हाथी ने 11000 हजार लाइन पर लगे ट्रांसफार्मर को उखाड़ने के प्रयास किया और बिजली की चपेट में आकर उसकी मौत हो गई थी जिसमें वन विभाग खुद को बचाने के लिए प्लाट स्वामी पर केस काट दिया था जो आज 10 लख रुपए प्लाट स्वामी द्वारा खर्च करने के बावजूद केस खत्म नहीं हुआ अब देखना यह है की फुलवरिया में अपनी पत्नी को बचाने के लिए रतनलाल ने बाघिन को आत्म सुरक्षा के चलते बीती रात मार डाला अब इस मामले में वन विभाग खुद को दोषी मानती है या फिर पीड़ित को दोषी बनाती है यह अभी गर्व ग्रह में है।