पश्चिम बंगाल

ममता के विधायक पर इनकम टैक्स की बडी़ रेड, फैक्ट्री से बरामद 15 करोड़ कैश सीज

ममता के विधायक पर इनकम टैक्स की बडी़ रेड, फैक्ट्री से बरामद 15 करोड़ कैश सीज

ममता के विधायक पर इनकम टैक्स की बडी़ रेड, फैक्ट्री से बरामद 15 करोड़ कैश सीज

(प्रसार संपादक शेखर गुप्ता)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधायक जाकिर हुसैन मुश्किल में हैं। उनके ठिकानों पर दो दिन तक हुए आयकर विभाग के रेड में करीब 15 करोड़ रुपये की नगदी पकड़ी गई है।

इस नगदी के संबंध में उनके द्वारा ठोस जवाब नहीं दिए जाने पर विभाग ने इसे जब्त कर लिया है। दो बार के विधायक जाकिर पश्चिम बंगाल में मुर्शीदाबाद जिले में जहांगीरपुर विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व करते हैं। आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह रेड विधायक की बीड़ी फैक्ट्री, वेयर हाउस और राइस मिल में हुई है।

रेड की शुरुआत उनके मुर्शीदाबाद, कोलकाता और नई दिल्ली स्थित प्रतिष्ठानों में बुधवार को एक साथ शुरू हुई थी। अधिकारियों के मुताबिक इस छापेमारी के दौरान विधायक के फैक्ट्री और प्रतिष्ठानों के अलावा उनके करीबी तृणमूल पार्षद आमिर उदीन बॉबी के आवास, घर और होटल में भी जांच किया गया है। हालांकि यहां पर कोई सीजिंग की कार्रवाई नहीं हुई है। विभागीय अधिकारियों की माने तो विधायक के एक ठिकाने से ही नौ करोड़ रुपये की नगदी बरामद हुई है। बताया कि विधायक के कुल 28 ठिकानों पर छापेमापरी हुई है। इसमें तीन बीड़ी फैक्ट्रियों के अलावा अन्य प्रतिष्ठान शामिल हैं।

ईडी भी कर सकती है जांच

बड़े पैमाने पर नगदी मिलने और इसका कोई हिसाब किताब नहीं होने का मामला सामने आने के बाद जांच में ईडी के भी शामिल होने की संभावना बढ़ गई है। ईडी के अधिकारियों के मुताबिक पूरे मामले को देखा जा रहा है। जरूरी होने पर ईडी की ओर से भी मामले की जांच पड़ताल कराई जाएगी।

विधायक ने उठाए सवाल

उधर, इस छापेमारी के बाद विधायक जाकिर हुसैन ने बयान जारी किया है। कहा कि इस रेड में इनकम टैक्स विभाग को कुछ भी नहीं मिला है। यह कार्रवाई केवल उन्हें प्रताड़ित करने के लिए की गई है। इसकी वजह यह है कि वह तृणमूल में हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोई अपराधी नहीं हूं। बल्कि एक व्यवसायी होने के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र की राजनीति करता हूं। उन्होंने कहा कि वह खुद बीते 23 सालों से इनकम टैक्स भरते आ रहे हैं। जो रकम विभाग ने जब्त किया है, वह अवैध नहीं है, बल्कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए रखा गया था। हालांकि पश्चिम बंगाल के कैबिनेट मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया।

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