झारखण्ड

स्ट्रेचर पर रिम्स की व्यवस्था ! एक्सीडेंट में घायल की ट्राली के इंतजार में हो गई मौत, रात को डाक्टर भी नदारद

स्ट्रेचर पर रिम्स की व्यवस्था ! एक्सीडेंट में घायल की ट्राली के इंतजार में हो गई मौत, रात को डाक्टर भी नदारद

स्ट्रेचर पर रिम्स की व्यवस्था ! एक्सीडेंट में घायल की ट्राली के इंतजार में हो गई मौत, रात को डाक्टर भी नदारद

(प्रसार संपादक शेखर गुप्ता)

राज्य का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर सिर्फ नाम का ही ट्रॉमा सेंटर है। सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में रात्रि सेवा की स्थिति बदहाल है। शुक्रवार की रात 10.45 के करीब नामकुम पुलिस सड़क दुर्घटना में बाइक सवार घायल को लेकर रिम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंची। घायल को ले जाने के लिए पहले तो ट्रॉलीमैन नहीं पहुंचा, फिर डॉक्टर मौजूद नहीं होने से मरीज की मौत हो गई।

पुलिस घायल को लेकर रिम्स पहुंची लेकिन 15 मिनट तक कोई ट्रॉलीमैन नहीं आया। इसके बाद नामकुम थाना के थानेदार सुनील तिवारी ने झल्लाते हुए वार्ड ब्वॉय को बुलाया और घायल को अंदर भेजा। इसके बाद भी 15 मिनट तक कोई डॉक्टर मरीज को देखने के लिए नहीं पहुंचा और घायल की मौत हो गई।

पुलिस का कहना था कि घायल को जिंदा ट्रॉमा सेंटर के दरवाजे तक लाया गया था लेकिन इलाज होता तो शायद यह बच सकता था। उन्होंने बताया कि घायल को ट्रॉली में ले जाने के लिए अनुभवी कर्मचारियों की कमी है, घायल को देखने के बाद कोई ग्लब्स खोज रहा था तो कोई मास्क। ट्रॉमा सेंटर में नियमों के अनुसार मरीज का तुरंत इलाज शुरू होना चाहिए था।

रात में नहीं रहता कोई डॉक्टर

वहीं, रात को पहुंची दैनिक जागरण की टीम ने रिम्स की इमरजेंसी का जायजा लिया तो यह घटना सामने आई। कई गंभीर मरीज पहुंच रहे थे लेकिन सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं थे। पता चला कि शाम पांच बजे के बाद से ही सीनियर डॉक्टर चले जाते हैं। चाहे कितनी भी इमरजेंसी हो, उसके बाद पीजी छात्रों के जिम्मे ही पूरी व्यवस्था रहती है। हालांकि, इमरजेंसी में मेडिकल ऑफिसर चैंबर में मौजूद दिखे, लेकिन मरीजों की जिस तरह भीड़ रहती है उसके अनुरूप मेडिकल आफिसर की संख्या भी कम दिखी।

पीजी छात्रों के भरोसे व्यवस्था

रिम्स में पीजी छात्रों ने इमरजेंसी से लेकर इंडोर तक की व्यवस्था संभाल तो रखी है लेकिन कई ऐसे मरीज मिलें जो सीनियर डॉक्टर की खोज करते दिखे लेकिन कर्मी सीनियर डॉक्टर नहीं होने की बात कहते नजर आए। बताया गया कि अभी जो डॉक्टर मौजूद हैं, वहीं आपका इलाज करेंगे। सुबह में सीनियर डाक्टर राउंड पर आएंगे जिसके बाद मरीज को देखा जाएगा।

एंबुलेंस से आने वाले मरीजों के लिए खोजनी पड़ रही ट्रॉली

रिम्स में रात में तो ट्रॉलीमैन की स्थिति और भी खराब है, जिसके बाद रात में एंबुलेंस के आने के बाद मरीजों को ट्रॉली में ले जाने के लिए परिवार के सदस्यों को इधर-उधर खोजते देखा गया। दूसरी ओर, दो एंबुलेंस ट्रॉलीमैन का इंतजार करती दिखी। एक परिजन ट्रॉलीमैन को खोज रहा था लेकिन होम गार्ड के जवान ने बताया गया कि कोई ट्रॉलीमैन नहीं है, वार्ड ब्वॉय है जो यहीं-कहीं पर होगा लेकिन स्थिति यह रही है कि ना ही वार्ड ब्वॉय आया ही नहीं।

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