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देसी आम के हरेभरे पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई।

वन क्षेत्राधिकारी बलवंत सिंह- कलमी आम के लगभग 45 पेड़ों का परमिट है जो कट रहें होंगे बाकी फॉरेस्टर को भेजकर दिखा रहे हैं।

  1. जनपद लखीमपुर खीरी – निघासन खीरी

देसी आम के हरेभरे पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई

 

धड़ल्ले से कांटे जा रहे हरे पेड़, विभागीय अधिकारी बने है अनजान।

 

सिंगाही खीरी:- विभाग की लापरवाही के चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। इसके बाद भी विभाग लकडी माफियाओं पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। प्रशासन भी इस तरफ अनदेखी कर रहा है। जबकि हर वर्ष सरकार व प्रशासन हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण अभियान चलाता है। इस पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, विभिन्न संस्थाएं भी लगातार जागरूक करते हुए पौधरोपण कर रही हैं, जिससे क्षेत्र व देश हरा भरा रहे, और प्रकृति संरक्षण का सपना साकार हो सके।आप को बताते चलें कि सिंगाही थाना क्षेत्र में हरे भरे व स्वस्थ आम के बाग में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।सिंगाही- बेलरायां पनवारी मार्ग पर, स्थित सिद्ध बाबा मंदिर से चंद कदमों की दूरी पर ग्राम सिंगहा कलां में देसी प्रजाति आम की हरी-भरी बाग में पेड़ों का कटान धड़ल्ले से जारी है।इस कट रही देशी आम की बाग और क्षेत्र में इधर उधर कटे पेड़ों से करीब दो ट्रक लकड़ी भेजी जा चुकी है बाकी अभी भी कटान जारी है। आखिर क्यों ऐसे में उक्त हरे भरे आम के स्वस्थ पेड़ों का वन विभाग काटने का परमीशन कैसे जारी कर देता है, जिससे वन विभाग व जिम्मेदार पर सवाल उठना लाजमी है।लकड़ी माफियाओं पर रोकथाम नहीं होने से आज दूर तक क्षेत्र वीरान नजर आता है।आम के हरे पेड़ों पर धड़ल्ले से चल रहा ठेकेदारों का कुल्हाड़ा क्षेत्र में देसी आम के बागों पर ठेकेदारों का कुल्हाड़ा धड़ल्ले से चल रहा है। यही नहीं आरा मशीनों पर भी आम के हरे पेड़ों की यह लकड़ी बिना रोक टोक से बेची जा रही है। इस धंधे में वन विभाग की मिलीभगत हर किसी की जुबान पर है। सरकार बागवानी को बढ़ाने के लिये विभागीय योजना के तहत प्रोत्साहन देती है। लेकिन लकड़ी के ठेकेदारों का एक बड़ा रैकेट क्षेत्र की हरियाली को पलीता लगाने में लगा हुआ है। इस धंधे में क्षेत्रीय विभागीय अधिकारियों की मिली भगत जगजाहिर है। वरना आम के हरे भरे बागों पर आरा चल ही नहीं सकता है। इन प्रतिबंधित प्रजातियों के उन्हीं पेड़ों को अनुमति लेकर काटा जा सकता है, जो सूख चुके हो और फल न लगते हो लेकिन इसी की आड़ में हरे आम के पेड़ों पर ठेकेदारों का आरा चलता है। यही नहीं पांच पेड़ों की अनुमति लेकर 50 पेड़ काटने का धंधा भी यही रैकेट करता है। इस धंधे में क्षेत्र की आरा मशीनों का भी बड़ा रोल है, क्योंकि आम के यह हरे पेड़ कटकर सीधे आरा मशीनों पर आते हैं और कुछ ही घंटों में इस लकड़ी की शक्ल बदल दी जाती है।

 

*बयानों में उलझे अफसरों के खेल को यूं समझिए*

 

वन क्षेत्राधिकारी बलवंत सिंह- कलमी आम के लगभग 45 पेड़ों का परमिट है जो कट रहें होंगे, बाकी फॉरेस्टर को भेजकर दिखा रहे हैं।”

सिंगाही वन चाकी इंचार्ज पुष्कर सिंह-45 कलमी पेडों का परमिट है वही काटे जा रहे हैं।

 

क्षेत्रीय लेखपाल- मेरे द्वारा लगभग 140 देसी आम के पेड़ों को खसरे पर दर्शाया गया है।

जिला संवाददाता सम्पति मौर्या की खास रिपोर्ट

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