पश्चिम बंगाल

गंगा आरती को लेकर गरमा सकती है बंगाल की सियासत, भाजपा नेता के गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सरकार ने करवाई सागर आरती

गंगा आरती को लेकर गरमा सकती है बंगाल की सियासत, भाजपा नेता के गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सरकार ने करवाई सागर आरती

गंगा आरती को लेकर गरमा सकती है बंगाल की सियासत, भाजपा नेता के गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सरकार ने करवाई सागर आरती

(प्रसार संपादक शेखर गुप्ता)

कोलकाता में बीते मंगलवार को भाजपा ने गंगा आरती की थी जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था। लेकिन अब इसी विवाद के बीच तृणमूल सरकार ने गुरुवार शाम गंगासागर में सागर आरती का आयोजन किया।

इस दौरान सागर तट पर बेहद भव्य तरीके से आरती की गई थी जिसमें मकर संक्रांति पर पुण्य स्नान करने गंगासागर पहुंचे तीर्थयात्री बड़ी संख्या में शामिल हुए। सागर आरती से पहले कपिल मुनि मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। सागर आरती में राज्य के सुंदरवन मामलों के मंत्री बंकिम हाजरा, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मनीष गुप्ता, दक्षिण 24 परगना के जिलाधिकारी सुमित गुप्ता, कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज व उनके उत्तराधिकारी संजय दास समेत अन्य विशिष्ट उपस्थित थे। शुक्रवार व शनिवार को भी सागर आरती का आयोजन किया जाएगा।

भाजपा को नहीं मिली थी इजाजत

गौरतलब है कि कोलकाता के बाबूघाट पर मंगलवार को गंगा आरती करने पहुंचे बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजुमदार व पार्टी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। भाजपा की तरफ से कोलकाता के बाजे कदमतला घाट पर गंगा आरती के लिए पुलिस से अनुमति मांगी गई थी लेकिन गंगासागर तीर्थयात्रियों की भीड़ और जी20 बैठक को लेकर प्रतिनिधियों के आवागमन का हवाला देकर पुलिस ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।

इजाजत न मिलने पर भी की आरती

सुकांत ने साफ कर दिया था कि वह हर हाल में गंगा आरती करेंगे। उनका कहना था कि यह उनका धार्मिक अधिकार है। इसके बाद शाम के समय उन्हें रोकने के लिए बाजे कदमतला घाट पर सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी लेकिन सुकांत अपनी गाड़ी से सीधे नेताजी इंडोर स्टेडियम के पास उतर गए और वहां से पैदल चलते हुए बाबूघाट जा पहुंचे और वहां गंगा आरती की। पुलिस को जैसे इस बात की जानकारी मिली कि सुकांत बाबूघाट पर गंगा आरती कर रहे हैं तो तुरंत पुलिस प्रिजन वैन लेकर वहां पहुंच गई। सुकांत के साथ मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था। उस घटना के महज एक दिन बाद तृणमूल सरकार की ओर से सागर आरती कराए जाने से इसे लेकर बंगाल की राजनीति और गरमा सकती है।

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