कॉलेज की शान में, देवकन्याएं मैदान में
देवकन्या शिवांगी मौर्या, श्रेया मौर्या, गर्विता बरनवाल, एवं सुप्रिया वर्मा ने सम्हाला मोर्चा, सब कुछ ठीक करके ही मानेंगे।
ढखेरवा चौराहा खीरी
कस्बा स्थित इंद्र बहादुर इंटर कॉलेज मैं बदलाव की बयार बहने लगी है ।जहां पर लोग तरह-तरह की बातें बनाते थे वहीं अब वे कॉलेज की तारीफ करने में लग गए हैं। कॉलेज में होने वाले बदलाव की रूपरेखा बनाते समय बहुत प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा। प्रारंभ में लोगों को यह बदलाव एडजस्ट नहीं हो पाया। जब शीर्ष के लोग रुके नहीं तो लोग इनके साथ जुड़ते चले गए और कारवां बनता गया। आज किसी अच्छे विद्यालय में क्या क्या होना चाहिए क्या-क्या नहीं होना चाहिए, विद्यार्थियों के क्या कर्तव्य है, अध्यापकों के क्या कर्तव्य है, मैनेजमेंट को क्या करना चाहिए, विद्यालय भवन में क्या क्या होना चाहिए,गाड़ियों की व्यवस्था और रखरखाव कैसा होना चाहिए, विद्यालय में छात्र-छात्राओं और अध्यापकों की भाषा शैली और आचरण कैसा होना चाहिए, छात्र-छात्राओं और अध्यापकों की वेशभूषा कैसी होनी चाहिए, बच्चों के साथ में उनका वार्तालाप किस भाषा में होना चाहिए, इन सभी का आचरण कैसा होना चाहिए, इन सब बातों पर विद्यालय के प्रधानाचार्य आर के मौर्य की पूरी नजर है।
बात करने पर आरके मौर्य ने बताया कि हमारे विद्यालय में सभी अध्यापक सरकार के द्वारा बनाए गए मानकों पर पूरे हैं, उनको कई कई वर्षों का पढ़ाने का अनुभव है, समय पालन भी उनको आता है, सर्दी गर्मी बरसात के मौसम में भी समय से विद्यालय आते हैं तथा बच्चों को पढ़ाने के लिए लगातार लगे रहते हैं।समय से फीस जमा ना होने के कारण कई बार कई कई महीनों के वेतन का भुगतान भी नहीं हो पाता है इसके बावजूद भी काम करते रहते हैं। किसी विद्यालय में बदलाव सुधार तथा उसको बुलंदियों पर ले जाने के लिए पूरी टीम की आवश्यकता होती है, वे चाहे सफाई कर्मी हों, ड्राइवर हो, अध्यापक गण, अकाउंटेंट, हर किसी को कंधे से कंधा मिलाकर विद्यालय के विकास के लिए काम करना पड़ता है।
विद्यालय में होने वाली हर प्रकार की गतिविधियों के निरीक्षण के लिए हर क्लास में 2-2 कक्षा प्रमुख बनाए गए हैं, तथा सभी कक्षा प्रमुखों के निरीक्षण के लिए तथा सांस्कृतिक एवं चारित्रिक शिक्षा के प्रसार के लिए 4 देव कन्याओं का चयन किया गया है।
मुख्यतः देव कन्याओं का काम खुद संयमित रहकर अपने भाई बहनों को संयम,शिष्टाचार,सच बोलना,नशा न करना,अपशब्द ना बोलना,अच्छी वेशभूषा पहनना अपने से बड़े, गुरुजनों तथा माता-पिता का सम्मान करना आदि सिखाना है। यदि विद्यालय में इन सब चीजों की अवहेलना होती है तो वे उसकी सूचना अपने कक्षा अध्यापक तदोपरांत प्रधानाचार्य को देंगी।
प्रधानाचार्य आरके मौर्य ने बताया कि विद्यालय के बदलाव तथा सुधार के लिए कई बच्चों पर कठोर कार्यवाही भी की गई उनको विद्यालय से निष्कासित भी किया गया, तथा भूल सुधार कर लेने पर उनकी शिक्षा बाधित न करते हुए पुनः विद्यालय में रख लिया गया। इस प्रकार के बच्चों में पुनः वह भूल दोहराते हुए ना दिखी।
देवकन्या शब्द गायत्री महायज्ञ में यज्ञ आचार्यों के द्वारा इन कन्याओं को दिया गया था जिस से प्रभावित होकर प्रधानाचार्य आर के मौर्य ने इन कन्याओं को विद्यालय में भी देवकन्या के नाम से संबोधित किए जाने का फैसला लिया गया, जिससे वे लगातार अपने उसी रूप में बनी रहकर लोगों को कुछ चीजें सिखा सकें।
संपादकीय