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दिव्यांग बहन की मार्मिक कविता।

नव-युग के नौजवानों बदल दो ए जमाना,
इस युग का सृजन करना फर्ज है तुम्हारा।
जमाना है महाभारत का तू कृष्ण की मूरत बन जा,
गली-गली में चीरहरण है तू द्रोपदी की जरूरत बन जा।
कटुता भरे हृदयों का तू मधुर अहसास बन जा,
हर रातें हो रही अमावस तू पूनम का चांद बन जा।
नारी की काया को इज्जत के गहनों से है सजाना।
नव-युग के नौजवानों बदल दो ए जमाना।।
यह देश है तुम्हारा इसकी औलाद हो तुम,
दुर्दम्य दानवता के लिए प्रबल फौलाद हो तुम।
भोग विलास त्याग कर खुद की खूबियां जान लो,
अपनी शौर्य शक्ति को वक्त रहते पहचान लो।
उचित कार्य में लगा दो अपनी वीरता का खजाना।
नव-युग के नौजवानों बदल दो ए जमाना।।

रचनाकार- वंदना देवी

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