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बिलरायां चीनी मिल को लेकर बड़ी खबर

बिग ब्रेकिंग न्यूज उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के विधानसभा निघासन की इकलौती सहकारी बिलरायां चीनी मिल न चलने से गुस्साए किसानों ने आज सुबह करीब 10 बजे चीनी मिल पहुंचे।किसानों तथा अधिकारियों में तीखी बहस हुई । जिसमे पहुंचे अमन दीप सिंह व जीएम से वार्ता में हुई ।जीएम ने बताया की हम चीनी मिल को 25 नवंबर को हरहाल में चला देगे। इस बात पर चीनी मिल अधिकारियों व

बिलरायां चीनी मिल को लेकर बड़ी खबर ।

बिग ब्रेकिंग न्यूज उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के विधानसभा निघासन की इकलौती सहकारी बिलरायां चीनी मिल न चलने से गुस्साए किसानों ने आज सुबह करीब 10 बजे चीनी मिल पहुंचे।किसानों तथा अधिकारियों में तीखी बहस हुई । जिसमे पहुंचे अमन दीप सिंह व जीएम से वार्ता में हुई ।जीएम ने बताया की हम चीनी मिल को 25 नवंबर को हरहाल में चला देगे। इस बात पर चीनी मिल अधिकारियों व किसानों की सहमति बन गई । किसानों का कहना है की गेंहू की बुवाई चल रही है और जनपद लखीमपुर खीरी के सभी प्राइवेट मिल चल चुके है। आखिर किसान करे तो क्या करें ।किसान चाह रहे है की जल्द ही चीनी मिल चल जाए और किसान अपना गन्ना मिल को भेज सके और गेहूं बो सके ।

मिल न चल पाने की स्थिति में किसान अपना गन्ना औने पौने दामों पर कोल्हू व क्रैशर पर बेचने को मजबूर हो रहा।

बताते चलें कि मिल प्रशासन मस्त,अन्नदाता त्रस्त वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।लखीमपुर खीरी जिले में अधिकतर प्राइवेट चीनी मिलें चल गई हैं और उन्होने पेराई सत्र चालू कर दिया है लेकिन सोचनीय विषय यह है कि निघासन क्षेत्र की इकलौती सरकार द्वारा संचालित सरयू सहकारी चीनी मिल अभी तक नहीं चल पाई है।यदि यह चीनी मिल 1 नवंबर से 10 नवंबर तक पेराई सत्र का शुभारंभ कर देती तो क्षेत्र का किसान गेहूं की बुवाई समय से कर लेता और अपना गन्ना औने पौने दामों पर बेचने को मजबूर न होता।खेती किसानी की लागत बढ़ जाने से किसान वैसे ही परेशान हैं।उर्वरकों के आसमान छूते दाम खेती की लागत में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी कर रहें हैं।अब फसल औने पौने दामों पर बेचकर किसान खेती में मुनाफे की जगह घाटा उठा रहा है।किसान वर्ष भर की गन्ने की फसल बेचकर बच्चों की पढ़ाई की फीस जमा करना चाहता है,त्यौहार पर बच्चों के लिए वस्त्र खरीदना चाहता है,यदि कुछ पैसे उसमें से बच गए तो पुनः फसल बोना चाहता है परंतु ज्यादातर ऐसा हो नही पाता है,उसे अगली फसल बोने के लिए कर्ज भी लेना पड़ता है।यदि समय से चीनी मिल चल जाती तो इस अन्नदाता को भुखमरी पर न आना पड़ता।गेहूं की फसल न लगा पाने की स्थिति में अन्नदाता को अन्न नहीं मिल पाएगा।औने पौने दामों पर फसल बेचकर यदि अन्नदाता गेहूं की फसल उगा भी लेगा और उसके पास अन्न हो भी जाएगा तो उसके बच्चे की फीस वह नहीं जमा कर पाएगा,उसके त्योहार तो धूमिल हो ही गये हैं साथ ही अन्नदाता कर्ज भी नहीं चुका पाएगा।।अभी तक गन्ना क्रय केंद्र व्यवस्थित नहीं हो पाए हैं।यदि इस गति से कार्य हुआ तो पूरा नवंबर मिल चलने के आसार नजर नहीं आ रहें हैं। इसलिए सरकार साहब सरयू सहकारी चीनी मिल का पेराई सत्र चालू करवा दीजिए।अन्नदाता आपकी तरफ टकटकी लगाए देख रहा है।

बहरहाल जी एम साहब ने किसानों से 25 नवंबर तक मिल चलाने का वादा किया है।किसानों से किया गया वादा पूरा होता है या नहीं,यह 26 नवंबर तक पता चल पाएगा।

ठाकुर प्रसाद की रिपोर्ट

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