उत्तरप्रदेशखीरीमनोरंजन

खानदानी रईशी हर किरदार में दिखी, छा जाते थे हर फिल्म में

भारतीय सिनेमा जगत के नायक थे, सईद जाफरी

आजकल जिसे देखो वो , अमीरी , खानदानी.. तुम्हारी दौलत नयी नयी है… टाईप की पोस्ट करने पर तुले है , पता नहीं किसने ये भांग कुएँ में घोली है ?

वैसे अमीरी की बात करुँ तो मुझे बचपन से केवल एक ही व्यक्ति की अमीरी ने प्रभावित किया है , वो है सईद जाफरी जी !
तब इस टाईप के अमीर केवल फिल्मों में ही दिखा करते थे , क्योंकि आसपास तो अपने जैसे ही मीडियम वर्ग वाले रहा करते थे ..

बचपन में ना तो अम्बानी को जानते थे और ना ही किसी अडानी को … जब जब भी फिल्मों में इस बंदे का रोल देखने को मिलता था , मेरे चेहरे के सामने हरे हरे नोट लहरा उठते थे ! बंदा थ्री पीस सूट , आँखों पर काला चश्मा और चमचमाते हुए जूते पहने जब मर्सडीज से उतरता था , तो लगता था कि कोई अमीर आदमी उतरा है !

अधिकांश फिल्मों में नायिका का बाप बनने वाले ये शख्स जब प्रेमी के सामने टेबिल पर ब्लेंक चेक बुक फेंकते थे , तो एक बार तो प्रेमी का प्रेम भी डगमगाने लगता था… पर कहानी की डिमांड के हिसाब से उसे मजबूरी में मना करना पड़ता था !

“मेरी बेटी का एक दिन का खर्चा तुम्हारी महीने भर की कमाई से ज्यादा है ” जब जाफरी जी अपनी गुलगुली सी आवाज में ये डाईलॉग बोलकर प्रेमी को झड़काते थे , तो प्रेमी का गला सूख जाया करता था.. बेचारे को टेंशन हो जाया करती थी ! टेंशन में सिर खुजाते हुए जब वो अपनी बगले झांकता था तो बंगले की साज सज्जा को देखकर उसकी अस्थि मज्जा तक सुन्न हो जाती थी ! कैमरामेन भी इनकी कपड़ों की अलमारियो को , जूते और घड़ी के कलेक्शन को और हर कमरे में लगे महंगे महंगे झूमर और फर्नीचर को जूम कर करके दिखाता था , जिन्हें देखकर आँखें ही नहीं बल्कि एड़िया भी फटी की फटी रह जाती थी ! बंगले के गार्डन की तो बात ही मत करिए… कई बीघाओ में फैला रहता था !

जब इनका मुनीम इनको देश विदेश में चल रही बड़ी बड़ी फैक्ट्रीयों , जमीन जायदाद और करोड़ों की व्यापारिक डील के बारे में ब्यौरा देता था , तो उसे सुनकर ही दर्शकों के हाथों से तोते उड़ जाया करते थे !

वो अमीराना अंदाज और ठरके के साथ बात करने का तौर तरीका मुझे बचपन से प्रभावित करता आया है ! उस किरदार के चेहरे से भले ही घमंड झलकता हो , पर किसी से मिलते समय मुस्कुराते हुए ही मुखातिब होता था !

ये थे हमारे बचपन की यादों में पान की तरह रचे बसे अमीर किरदार …! हर फ़िल्म में जिस तरह से धाँसू एंट्री होती थी , उससे ही महसूस हो जाता था कि सेठ की दौलत वाकई में पुरानी है , नयी नयी नहीं है !
इस किरदार ने ना जाने कितने ही लोगों को अमीर बनने के लिए प्रेरित किया होगा ! जो भी किसी फ़िल्म में इनका वैभवशाली रोल देख लेता था , उसके मन में भी ऐसा ही दौलतमंद बनने की कुरकुरी छूट जाती थी !

इसको कहते थे अमीरी तो …आज तो हर कोई बनता फिर रहा है , पर उस जमाने के हिसाब से इनकी होड़ थोड़े ही कर सकता है …

संपादकीय

Akhand Live News 24x7

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button